पृष्ठ:संकलन.djvu/७२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

वाक्य बच्चों से बोर्ड पर लिखाया गया और सारी क्लास से वह उच्चारण भी कराया गया और बोर्ड पर लिखाया भी गया।

वाक्य लिखना और उच्चारण करना आ जाने पर नित्य के व्यवहार की और भी बातें उन्हें धीरे-धीरे सिखलाई जाती हैं; और साथ ही साथ व्याकरण का भी बोध कराया जाता है। इस तरह चित्रों से, खिलौनों से, रङ्गों से, क्रियाओं से, बड़ी युक्ति और धीरज के साथ पहले तीन चार वर्ष गूँगे और बहरे लड़कों को बोलना, और साथ ही साथ लिखना-पढ़ना भी, सिखलाया जाता है। पहले-पहल शिक्षा का क्रम बहुत ही सीधा-सादा होता है। ऐसी ही बातें बच्चों को सिखलाई जाती हैं जो हर वक्त उनके देखने में आती हैं। जितने वाक्य उन्हें सिखलाये जाते हैं, सब सरल होते हैं। उन्हें बच्चे लिखना भी सीखते हैं और उच्चारण करना भी। इस तरह चार ही पाँच वर्ष की शिक्षा से वे मतलब भर को बोल भी लेने लगते हैं और दूसरों को बोलते देख उनकी मुखाकृति से उनकी बातों का मतलब भी समझ लेते हैं। वे चुने हुए सैंकड़ों वाक्य लिख भी लेते हैं और सहल सहल किताबें भी पढ़ लेते हैं। जो किताबें गूँगे बच्चों के लिए तैयार की जाती हैं, उनमें उलट-पुलट कर प्रायःवही शब्द और वही वाक्य होते हैं जिन्हें वे पहले याद कर चुकते हैं।

इसके बाद वह समय आता है जब बच्चों को इतिहास, भूगोल, अङ्क-गणित और वैज्ञानिक विषय सिखलाये जाते हैं। इन सब विषयों के सिखलाने की ऐसी अच्छी तरकीबें निकाली

६७