पृष्ठ:संकलन.djvu/७३

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गई हैं कि गूँगे और बहरे लड़के आसानी से उन्हें समझ सकते हैं। बच्चों के बोलने और पढ़ने की तरफ अधिक ध्यान दिया जाता है; क्योंकि इसकी सबसे अधिक ज़रूरत समझी जाती है। इस तरह कुछ समय तक और अभ्यास जारी रहने से लड़के आप ही आप अपने मनोभाव प्रकट कर लेने लगते हैं और दूसरों की बातें समझ लेने में उन्हें कुछ भी कठिनता नहीं होती। जब वे इस अवस्था को पहुँच जाते हैं, तव उनकी शिक्षा सफल समझी जाती है।

गूँगे और बहरे लड़कों को लिखना, पढ़ना और बोलना ही नहीं सिखलाया जाता, किन्तु जीविका-उपार्जन के पेशे भी सिखलाये जाते हैं। लड़कियों को लकड़ी पर नक्काशी के काम करना, चित्र बनाना, सीना-पिरोना और खाना पकाना सिख- लाया जाता है। लड़कों को दरजी का काम, बेल-बूटे बनाने का काम, किताबें छापने का काम, तसवीर खींचने का काम -- ऐसे ही और भी कितने ही उपयोगी काम सिखलाये जाते हैं।

गूँगे और बहरे लड़कों की प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त होने पर वे प्रायः उसी तरह लिख, पढ़ और बोल सकते हैं जैसे और आदमी। उनकी और साधारण आदमियों की बोली में बहुत ही कम अन्तर मालूम होता है। इस तरह शिक्षा प्राप्त लड़के ऊँचे दरजे के स्कूलों और कालेजों में भरती होकर उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा-समाप्ति के बाद वे बड़े बड़े काम करते हैं। समाज में उनका बड़ा आदर होता है।

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