पृष्ठ:संकलन.djvu/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१३
चीन के विश्व-विद्यालयों की परीक्षा-प्रणाली

चीन संसार में सब से अधिक आबाद देश है। पर वह शिक्षा में बहुत पीछे है। यद्यपि वहाँ शिक्षित लोगों की बड़ी क़दर है, तथापि उनकी जीविका का मैदान बहुत तंग है। यदि उन्हें सरकारी नौकरी न मिली तो वे अध्यापकी या मुहर्रिरी करके जैसे-तैसे अपने दिन बिताते हैं। विशेष कर उन चीनी शिक्षितों की मिट्टी और भी खराब होती है जो किसी कारण से पदवी (Degree) नहीं प्राप्त कर सकते। वे छोटी छोटी देहाती पाठशालाओं में, जिनमें पचीस तीस से अधिक लड़के नहीं होते, सात आठ रुपये मासिक पर अपना जीवन बड़े कष्ट से बिताते हैं। वे बार बार परीक्षाओं में शामिल होते हैं और इस आशा पर जमे रहते हैं कि जब हम कृतकार्य होंगे, तब हमारा भाग्य अवश्य ही जगेगा। ऊँची ऊँची परीक्षाओं के हज़ारों उम्मेदवारों में से अधिकांश चालीस पचास वर्ष की उम्रवाले होते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके बाल बिलकुल सफेद हो गये हैं और जो अपने नाती-पोतों के साथ बैठकर काँपते हुए हाथ से इस आशा से निबन्ध लिखते हैं कि शायद बुढ़ापे ही में धन और यश मिलना बदा हो। पर दुर्भाग्य से हज़ारों में सिर्फ चालीस पचास ही पास होते हैं।

७६