पृष्ठ:संकलन.djvu/८३

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चाहिए। विद्यार्थियों को कोई नई बात सोचने के लिए अपने मस्तिष्क पर जोर नहीं देना पड़ता। हजारों वर्ष की पुरानी बाते, तोते की तरह रट कर, वे छुट्टी पा जाते हैं। जो कुछ उनमें लिखा हुआ है, उसी को सहस्त्रशः विद्यार्थी प्रति वर्ष आँख बन्द करके लिखते चले जाते हैं। चीन की प्राचीन प्रथा है कि एक नियत संख्या से अधिक परीक्षार्थी किसी परीक्षा में पास नहीं किये जाते, चाहे उम्मेदवारों की तादाद कितनी ही अधिक क्यों न हो। योग्यता जाँचने का साधन भी बड़ा विचित्र है। वह यह है कि उम्मेदवार नियत संख्या के अन्य उम्मेदवारों से अधिक योग्य हो। कभी कभी इस प्रथा से घोर अन्याय हो जाता है। शान्टुंग, चेकियांग, केन्टन आदि प्रान्तों में हजारों विद्यार्थी परीक्षा में शरीक होते हैं। यदि पास किये जानेवालो की संख्या केवल तीस हुई तो सिर्फ इतने ही पास किये जायेंगे। शेष अपना सा मुँह लेकर अपने घर लौट जायँगे। इसके विरुद्ध शान्सी, शेन्सी, कान्सू आदि प्रान्तों में बहुत ही थोड़े अर्थात् तीस चालीस परीक्षार्थी होते हैं। उनमें से प्रायः सभी पास कर दिये जाते हैं। फल यह होता है कि एक जगह अत्यन्त अयोग्य उम्मेदवार पास हो जाता है और दूसरी जगह उससे कहीं अधिक योग्य परीक्षार्थी फेल हो जाता है। सुनते हैं, किसी किसी जिले में शासनकर्ता गली गली घूम कर नियत संख्या के उम्मेदवारों को इकट्ठा करता है। "Hsiu Tsai" पदवी-धारी लोग लाल झब्बेदार टोपी पहनते हैं जिसमें सुनहला

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