पृष्ठ:संकलन.djvu/८४

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दूसरी परीक्षा जिसे "Chuken" कहते हैं, तीन वर्ष में एक दफे, केवल प्रान्तिक राजधानियों में, होती है। इस परीक्षा के लिए चीन की राजधानी पेकिन से विशेष परीक्षक आते हैं। जिस स्थान पर परीक्षा होती है, वह देखने योग्य होता है। प्रत्येक उम्मेदवार एक छोटी सी झोपड़ी में ठहराया जाता है। वहाँ वह एक तख़्ते पर उकडूँ बैठकर अपने निबन्ध लिखता है। उसके सामने एक विचित्र प्रकार की छोटी सी मेज़ भी रहती है। ये झोपड़ियाँ एक लम्बी कतार में बनी होती हैं और संख्या में आठ हजार के लगभग होती हैं। वे इतनी गन्दी रहती हैं कि उनमें एक दिन भी ठहरना मुशकिल है। पर बेचारे पदवी-लोभियों को उसी नरक-तुल्य स्थान में पूरे तीन दिन रहना और वहीं अपने निबन्ध लिखना पड़ता है। फिर एक दिन की छुट्टी मिलती है। इसके बाद तीन दिन और इस काल-कोठरी में उन्हें बिताने पड़ते हैं। उस मैदान में स्थान स्थान पर बुर्ज बने होते हैं। परीक्षक लोग उन्हीं बुर्जों में बैठ कर दिन-रात, चौबीसों घण्टे, उनकी निगरानी करते हैं। परीक्षा की इस अद्भुत प्रणाली के कारण उम्मेदवारों को बड़ी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। पर साथ ही साथ उन्हें धोखेबाज़ी करने का अवसर भी हाथ आता है। कितने ही परीक्षा देनेवाले किताबों के ढेर के ढेर टोकरियों में रक्खे हुए, बैठे नकल किया

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