पृष्ठ:संकलन.djvu/९७

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पक्का बैठ जाता है कि पानी का एक बूँद भी भीतर नहीं जा सकता।

पानी के भीतर ले जाने के पहले इन धूम्रपोतों का वज़न अधिक करने की ज़रूरत पड़ती है। बिना उनका भारीपन अधिक हुए वे पानी के भीतर नहीं ठहर सकते। इस कारण इनके भीतर एक खास जगह में कुछ छेद रक्खे जाते हैं। वे बन्द रहते हैं। ज़रूरत पड़ते ही वे सब खोल दिये जाते हैं। उनकी राह से समुद्र का पानी भीतर आ जाता है और जहाज का वज़न बढ़ जाता है। यह पानी लोहे के बड़े बड़े पीपों में भरता है, जो इसी काम के लिए रहते हैं। इसके सिवा और भी कुछ ऐसा प्रबन्ध रहता है जिससे ये पोत नीचे को और भी अधिक गहरे पानी में पहुँचाये जा सकते हैं; अथवा आवश्यकता होने पर ऊपर उठाये जा सकते हैं।

जैसे एंजिन मोटर-गाड़ियों में लगते हैं, वैसे ही इनमें भी लगते हैं। इनमें भी पेट्रोलियम नाम का तेल जलाया जाता है। उसी से वे चलते हैं। पानी काटने के लिए मामूली अग्नि- बोटों में जैसे पंखे रहते हैं, वैसे ही इनमें भी पीछे की ओर रहते हैं।

पाठकों को यह सन्देह हो सकता है कि यदि ये पोत सब तरफ से बन्द रहते हैं तो पानी के भीतर आदमी, बिना हवा के, जी कैसे सकता है ? परन्तु अर्वाचीन विज्ञान ने इस तरह की विघ्न-बाधाआ को दूर कर दिया है। प्रत्येक धूम्रपोत में कोई

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