पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/२२७

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घालिबे के नाते गर्व घालियतु देवन के,
जारिबे के नाते अघ-ओघ जारियतु है॥
बाँधिबे के नाते ताल बाँधियतु केसादास,
मारिबे के नाते तो दरिद्र मारियतु है।
राजा रामचद्र जू के नाम जग जीतियतु,
हारिबे के नाते आन जन्म हारियतु है॥१०५॥
[चद्रकला छद]
सब के कलपद्रुम के वन हैं, सब के बर बारन गाजत हैं।
सब के घर शोभति देवसभा, सब के जय दुदुभि बाजत हैं।
निधि सिद्धि विशेष अशेषनि सों, सब लोग सबै सुख साजत हैं।
कहि केसव श्रीरघुराज के राज सबै सुरराज से राजत हैं॥१०६॥
[दडक]
जूझहि में कलह, कलहप्रिय नारदै,
कुरूप है कुवेरै, लोभ सब के चयन को।
पापन की हानि, डर गुरुन को, बैरी काम,
आगि सर्वभक्षी, दुखदायक अयन को।
विद्या ही में बादु, बहुनायक है वारिनीधि,
जारज है हनुमंत, मीत उदयन को।
आँखिन अछत अध, नारि केर कृश कटि,
ऐसो राज राजै राम राजिवनयन को॥१०७॥
[दो०] कुटिल कटाक्ष, कठोर कुच, एकै दुःख अदेय।
द्विस्वभाव अश्लेष मे, ब्राह्मण जाति अजेय॥१०८॥