पृष्ठ:संक्षिप्त रामचंद्रिका.djvu/३६

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है। जिस खूबी से रावण ने अगद को फोडने का प्रयत्न किया था उससे उनकी राजनीतिज्ञता का परिचय मिलता है। अपनी इसी निपुणता के कारण वे वीरसिंहदेव का जुरमाना माफ कराने के लिये दिल्ली भेजे गए थे। राज्य-व्यवहार वे अच्छी तरह जानते थे। राज-सभा में रावण का आतक प्रतिहारी की इस मिडकी मे अकित है- पढ़े विरचि मौन वेद जीव सोर छडि रे, कुबेर बेर कै कही न जच्छ भीर मडि रे। दिनेस जाइ दूरि बैठु नारदादि संग ही, न बोलु चंद मदबुद्धि, इद्र की सभा नहीं। मनुष्य-जीवन के भीतर तो केशव की अतह ष्टि कुछ दिखाई रामचंद्रिका में प्रकृति- भी देती है पर प्रकृति के जितने भी वर्णन ___ वर्णन उन्होंने दिए हैं वे प्रकृति-निरीक्षण से प्रभावित होने का जरा भी परिचय नहीं देते। क्लिष्टता की दृष्टि से लोग उनकी तुलना मिल्टन से करते है। मिल्टन से उनकी इतनी और समानता है कि उन्होंने भी प्रकृति का परिचय कवि-परपरा से पाया है। मिल्टन लावा ( लार्क) पक्षी को खिड़की पर ला बैठाते हैं तो ये कहीं बिहार की तरफ विश्वामित्र के तपोवन मे- एला ललित लवग सग पुगीफल सोहै कह चलते है। मालूम होता है कि प्रकृति के बीच वे आँखे बंद करके जाते थे। क्योंकि प्रकृति के दर्शन से प्रकृत कवि