पृष्ठ:संग्राम.pdf/१०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
पांचवां दृश्य
(स्थान--सबलसिहका दीवानखाना, खसकी टट्टियाँ लगी हुई हैं,

पंखा चल रहा है। सबल शीतलपाटीपर लेटे हुए
Democracy नामक ग्रंथ पढ़ रहे हैं, द्वारपर
एक दबन बैठा झपकियाँ ले रहा है।

समय--दो पहर, मध्याह्नकी प्रचंड धूप।)

समय--"हम अभी जन सत्तात्मक राज्यके योग्य नहीं है, कदापि नहीं है। ऐसे राज्यके लिये सर्वसाधारणमें शिक्षाकी प्रचुर मात्रा होनी चाहिये। हम अभी उस आदर्शसे कोसों दूर हैं। इसके लिये महान स्वार्थत्यागकी आवश्यकता है। जब तक प्रजामात्र स्वार्थको राष्ट्रपर बलिदान करना नहीं सीखते इसका स्वप्न देखना मनकी मिठाई खाना है। अमरीका, फ्रान्स, दक्षिणी अमरीका आदि देशोंने बड़े समारोहसे इसकी व्यवस्था की पर उनमेसे किसीको भी सफलता नहीं हुई। वहाँ अब भी धन और सम्पत्तिवालोंके ही हाथों में अधिकार है। प्रजा