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दूसरा अङ्क

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छोड़िये। जब ओखलीमें सिर दिया है तो मूसलों का क्या डर। मैं यही चाहती हूँ कि आप दिनमें किसी समय अवश्य आ जाया करें। आपको देखकर मेरे चित्तकी ज्वाला शांत हो जाती है जैसे जलते हुए घावपर मरहम लग जाय। अकेले मुझे डर भी लगता है कि कहीं वह हलजोत किसान मेरी टोह लगाता हुआ आ न पहुँचे। यह भय सदैव मेरे हृदयपर छाया रहता है। उसे क्रोध आता है तो वह उन्मत्त हो जाता है। उसे ज़रा भी खबर मिल गई तो मेरी जानकी खैरियत नहीं है।

सबल--उसकी ज़रा भी चिन्ता मत करो। मैंने उसे हिरासतमें रखवा दिया है। वहां ६ महीनेतक रखूंगा। अभी तो १ महीनेसे कुछ ही ऊपर हुआ है। ६ महीने के बाद देखा जायगा। रुपये कहां हैं कि देकर छूटेगा।

राजे०--क्या जाने उसके गाय, बैल कहां गये। भूखों मर गये होंगे।

सबल--नहीं, मैंने पता लगाया था। वह बुड्ढा मुसलमान फत्तू उसके सब जानवरों को अपने घर ले गया है और उनकी अच्छी तरह सेवा करता है।

राजे०--यह सुनकर चिन्ता मिट गई। मैं डरती थी कहीं सब जानवर मर गये हों तो हमें हत्या लगे।

सबल--(घड़ी देखकर) यहां आता हूँ तो समयके परसे