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दूसरा अङ्क

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रिकतासे उन्हें घृणा है। इसलिये अबतक विवाह नहीं किया।

राजे०--अगर यह हाल है तो यहाँ पूछ-ताछ करने जरूर आयेंगे

सबल--मालूम होता है इस घरका पता पहले लगा लिया है। इस समय पूछ-ताछ करने ही आये थे। मुझे देखा तो लौट गये। अब मेरी लज्जा, मेरा लोक सम्मान, मेरा जीवन तुम्हारे आधीन है। तुम्हीं मेरी रक्षा कर सकती हो।

राजे०--क्यों न कोई दूसरा मकान ठीक कर लीजिये।

सबल--इससे कुछ न होगा। बस यही उपाय है कि जब वह यहाँ आयें तो उन्हें चकमा दिया जाय। कहला भेजो मैं सबल सिंहको नहीं जानती। वह यहाँ कभी नहीं आते। दूसरा उपाय यह है कि उन्हें कुछ दिनोंके लिये यहांसे टाल दूं। कह देता हूं कि जाकर लायलपुरसे गेहूँ खरीद लावो। तबतक हम लोग यहाँसे कहीं और चल देंगे।

राजे०--यही तरकीब अच्छी है।

सबल--अच्छी तो है पर हुआ बड़ा अनर्थ। अब परदा ढका रहना कठिन है।

राजे०--(मनमें) ईश्वर, यही मेरी प्रतिज्ञाके पूरे होने का अवसर है। मुझे बल प्रदान करो। (प्रगट) यह सब मुसीबतें मेरी लाई हुई हैं। मैं क्या जानती थी कि प्रेम मार्गमें इतने कांटे हैं!