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आठवां दृश्य
(समय--संध्या, जेठका महीना। स्थान--मधुबन, कई
आदमी फत्तूके द्वारपर खड़ा है।)

मंगरू--फत्तू तुमने बहुत चक्कर लगाया, सारा संसार छान डाला।

सलोनी--बेटा तुम न होते तो हलधरका पता लगना मुसकिल था।

हरदास--पता लगाना तो मुसकिल नहीं था, हाँ जरा देर में लगता।

मंगरू--कहाँ कहाँ गये थे?

फत्तू--पहले तो कानपुर गया। वहाँके सब पुतलीघरोंको देखा। कहीं पता न लगा। तब लोगोंने कहा बम्बई चले जाव। वहां चला गया मुदा उतने बड़े सहरमें कहा-कहां ढूंढता। ४, ५ दिन पुतली घरों में देखने गया, पर हिसाव छूट गया। सहर काहेको है पूरा मुलुक है। जान पड़ता है ससार भरके आदमी वहीं आकर जमा हो गये हैं। तभी तो