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चम्पा--क्या है?
भृगु--न दिखाऊंगा-न
चम्पा--मुट्ठी खोलो। यह गिनी कहाँ पाई।? मैं न दूंगी।
भृगु--पानेकी न पूछो, एक असामी रुपये लौटाने आया था। खातेमें २) सैकड़ेका दर लिखा है, मैंने २॥) सैकड़ेके दरसे वसूल किया।
(बाहर चला जाता है)
चम्पा--(मनमें) बुढ़िया सीधी होती तो चैन ही चैन था।