पृष्ठ:संग्राम.pdf/१५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
संग्राम

१३६

कंचन—जलवायुके बदलनेसे कुछ लाभ तो अवश्य होगा।

सबल—तुम्हें रुपयोंका प्रबन्ध करनेमें ज्यादा असुबिधा होगी।

कंचन—ऊपर तो केवल ५०००) होंगे। ४२५०) मूलचन्दने दिये हैं, ५००) श्रीरामने और २५०) हलधरने।

सबल—(चौंककर) क्या हलधरने भी रुपये दे दिये?

कंचन—हां गांववालोंने मदद की होगी।

सबल—तब तो वह छूटकर अपने घर पहुँच गया होगा?

कंचन—जी हां।

सबल—(कुछ देरतक सोचकर) मेरे सफरकी तैयारीमें कै दिन लगेंगे?

कंचन—क्या जाना बहुत जरूरी है? क्यों न यहीं कुछ दिनोंके लिये देहात चले जाइये। लिखने-पढ़नेका काम भी बन्द कर दीजिये।

सबल—डाक्टरोंकी सलाह पहाड़ोंपर जानेकी है। मैं कल किसी वक्त यहांसे मंसूरी चला जाना चाहता हूँ।

कंचन—जैसी इच्छा।

सबल—मेरे साथ किसी नौकर चाकरके जानेकी जरूरत नहीं है। तुम्हारी भाभी चलनेके लिये आग्रह करेंगी। उन्हें समझा देना कि तुम्हारे चलनेसे खर्च बहुत बढ़ जायगा। नौकर,