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पहला अङ्क


कंगन बनना भी जरूरी है। चार आदमी ताने देने लगेंगे तो क्या करोगी?

राजे॰––इसकी चिन्ता मत करो, मैं उनका जवाब दे लूंगी। लेकिन मेरी तो जाने की इच्छा हो नहीं है। न जाने और बहुएँ कैसे मैके जाने को व्याकुल होती हैं, मेरा तो अब वहाँ एक दिन भी जी न लगेगा। अपना घर सबसे अच्छा लगता है। अबकी तुलसी का चौतरा जरूर बनवा देना, उसके आस-पास बेला, चमेली, गेंदा और गुलाब के फूल लगा दूंगी तो आँगन की शोभा कैसी बढ़ जायगी!

हलधर––वह देखो तोतों का झुण्ड मटरपर टूट पड़ा।

राजे॰––मेरा भी जी एक तोता पालने को चाहता है। उसे पढ़ाया करूँगी।

(हलधर गुलेल उठाकर तोतों की ओर चलाता है)

राजे॰––छोड़ना मत, बस दिखाकर उड़ा दो।

हलधर––वह मारा! एक गिर गया।

राजे॰––राम राम, यह तुमने क्या किया? चार दानों के पीछे उसकी जान ही ले ली। यह कौन सी भलमनसी है?

हलधर––(लज्जित होकर) मैंने जानकर नहीं मारा।

राजे॰––अच्छा तो इसी दम गुलेल तोड़कर फेंक दो। मुझसे यह पाप नहीं देखा जाता। किसी पशु-पंछीको सड़पते देखकर