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संग्राम

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पट बातोपर मोहित हो गई हूँ। आपके लिये मैं सब कष्ट सहनेको तैयार हूँ। पर आपसे यही विनती है कि मुझपर कृपादृष्टि बनाये रखियेगा और कभी २ दर्शन देते रहियेगा।

(राजेश्वरी गाती है)

क्या सो रहा! मुसाफिर बीती है रैन सारी।
अब जागके चलनकी करले सभी तयारी॥
तुझको है दूर जाना नहीं पास कुछ खजाना,
आगे नहीं ठिकाना होवे बड़ी खुआरी ॥टेव॥
पूँजी सभी गमाईं कुछ ना करी कमाई,
क्या लेके घरको जाई करजा किया है भारी।
क्या सो रहा०॥

(कंचन चला जाता है)