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तीसरा अङ्क

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जोशका कुछ हिस्सा बाकी है जो कटे हुए सिरों और तड़पती हुई लाशोंका दृश्य देखकर मतवाला हो जाता था। इन बाहोंमें अभी दम है, यह अब भी तलवार और भालेका वार कर सकती हैं। मैं अबोध बालक नही हूं कि मुझे बुरे रास्तेसे बचाया जाय, मेरी रक्षा की जाय। मैं अपना मुखतार हूँ, जो चाहूँ करूँ। किसीको चाहे वह मेरा भाई ही क्यों न हो, मेरी भलाई और हितकामनाका ठोंग रचनेकी जरूरत नहीं। अगर बात यहींतक है तो ग़नीमत है, लेकिन इसके आगे बढ़ गई है तो फिर इस कुलकी खैरियत नहीं। इसका सर्वनाश हो जायगा और मेरे ही हाथों। कंचनको एक बार सचेत कर देना चाहिये।

(ज्ञानी आती है)

ज्ञानी—क्या अभीतक सोये नहीं? बारह तो बज गये होंगे।

सबल—नींद को बुला रहा हूं पर उसका स्वभाव तुम्हारा जैसा है। आप ही आप आती है पर बुलानेसे भान करने लगती है। तुम्हें नींद क्यों नहीं आई?

ज्ञानी—चिन्ताकी नींदसे बिगाड़ है।

सबल—किस बातकी चिन्ता है?

ज्ञानी—एक बात है कि कहूं। चारों तरफ़ चिन्ताए हो चिन्ताएं हैं। इस वक्त तुम्हारी यात्राकी चिन्ता है। तबीयत