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तीसरा अङ्क
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मचाते हो?
हलधर—तुम भी निरे गंवार हो। चीलके घोंसलेमें माँस ढूंढ़ते हो।
पहला—यारो संभलकर, पालकी आ रही है।
चौथा—बस ठूट पड़ो जिसमें कहार भाग खड़े हों।
जा पड़ते हैं। कहार पालकी पटककर भाग खड़े होते
एक डाकू—ठकुराइन, जानकी खैर चाहती हो तो सब गहने चुपकेसे उतारके रख दो। अगर गुल मचाया या चिल्लाई तो हमें जबरदस्ती तुम्हारा मुँह बन्द करना पड़ेगा, और हम तुम्हारे ऊपर हाथ नहीं उठाना चाहते।
दूसरा—सोचती क्या हो, यहाँ ठाकुर सबलसिंह नहीं बैठे हैं जो बन्दुक लिये आते हो। चटपट उतारो।
तीसरा—(पालकीका परदा उठाकर) यह यों न मानोगी ठकुराइन है न, हाथ पकड़कर बाँध दो, उतार लो सब गहने।
वह हाय मारकर बेहोश हो जाता है। तीनों
बाकी डाकू उसपर टूट पड़ते हैं। लाठियाँ
चलने लगती हैं।)