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तीसरा अङ्क

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सबल—हलधर क्या चाहते हो?

हलधर—(सबलके सामने आकर) संभल जाइयेगा मैं चोट करता हूँ।

सबल—क्यों मेरे खुनके प्यासे हो रहे हो?

हलधर—अपने दिलसे पूछिये।

सबल—तुम्हारा अपराधी मैं नहीं हूं, कोई दूसरा ही है।

हलधर—क्षत्री होकर आप प्राणोंके भयसे झूठ बोलते नहीं लजाते।

सबल—‌मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ।

हलधर—सरासर झूठ है। मेरा सर्वनाश आपके हाथों हुआ है। आपने मेरी इज्जत मिट्टीमें मिला दी। मेरे घर में आग लगा दी और अब आप झूठ बोलकर अपने प्राण बचाना चाहते हैं। मुझे सब खबरें मिल चुकी हैं। बाबा चेतनदासने सारा कच्चा चिट्ठा मुझसे कह सुनाया है। अब बिना आपका खून पिये इस तलवारकी प्यास न बुझेगी।

सबल—हलधर मैं क्षत्री हूँ और प्राणोंको हीं डरता। तुम मेरे साथ मेरे कमरेतक आवो। मैं ईश्वरको साक्षी देकर कहता हूँ कि मैं कोई छल कपट न करूंगा। वहाँ मैं तुमसे सब वृत्तान्त सच सच कह दूंगा। तब तुम्हारे मनमें जो आये वह करना।

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