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संग्राम

२०२

इन्स०—वह एक ही बात हुई। अच्छा उस गांवमें शराबकी दूकान थी। वह किसने बन्द कराई?

फत्तू—हजूर ठीकेदारने आप ही बन्द कर दी। उसकी बिक्री न होती थी।

इन्स०—सबल सिंहने सबसे यह नहीं कहा कि जो उस दूकानपर जाय जसे पंचायतमें सजा मिलनी चाहिये?

फत्तू—(मनमें) इसको जरा-जरा सी बातोंकी खबर है। (प्रगट) हजूर मुझे याद नहीं।

इन्सपेक्टर—शेखजी, तुम कन्नी काट रहे हो, इसका नतीजा अच्छा नहीं है। दारोगाजीने तुम्हारा जो बयान लिखा है उसपर चुपके से दस्तखत कर दो वरना जमींदार तो न बचेंगे। तुम अलबत्ता गेहूँके साथ धुनकी तरह पिस जाओगे।

फत्तू—हजूरका अखतियार है जो चाहें करें, पर मैं तो वही कहूँगा जो जानता हूँ।

इन्सपेक्टर—तुम्हारा क्या नाम है?

मंगरू—(सामने आकर) मंगरू।

इन्सपेक्टर—जो पूछा जाय उसका साफ २ जवाब देना। इधर-उधर किया तो तुम जानोगे। पुलिसका मारा पानी नहीं माँगता। यहां गावमें पंचायत किसने क़ायम की?

मंगरू—(मनमें) मैं तो जो यह चाहेंगे वही कहूंगा। पीछे