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चौथा अङ्क

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देखा जायगा। गालियाँ देने लगें या पिटवाने ही लगें तो इनका क्या बना लूंगा। सबल सिंह तो मुझे बचा न देंगे। (प्रगट) ठाकुर सबल सिंहने।

इन्सपेक्टर—उन्होंने तुम लोगोंसे कहा था न कि सरकारी अदालतों में जाना पाप है। जो सरकारी अदालतमें जाय उसका हुक्का-पानी बन्द कर दो।

मंगरू—(मनमें) यह तो नहीं कहा था, खाली अदालतोंके खर्चसे बचने के लिये पंचायत खोलनेकी ताकीद की थी। पर ऐसा कह दूं तो अभी यह जामेसे बाहर हो जायगा। (प्रगट) हां हजूर कहा था। बात सच्ची कहूँगा। जमींदार आकबत में थोड़े ही साथ देंगे।

इन्स०—सबल सिंहने यह नहीं कहा था कि किसी हाकिमको बेगार मत दो।

मंगरू—(मनमें) उन्होंने तो इतना ही कहा था कि मुनासिब दाम लेकर दो। (प्रगट) हां हजूर कहा था। बरमला कहा था। सच्ची बात कहने में क्या डर?

इन्स०—शराब और गांजेकी दूकान तोड़वाने की तहरीर उनकी तरफसे हुई थी न?

मंगरू—बराबर हुई थी। जो शराब-गांजा पिये उसका हुक्का पानी बन्द कर दिया जाता था।