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चौथा अङ्क

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लालसा घेरे रहती है। ठीक वही दशा मेरी है। जानता हूं कि चन्द घण्टोंका और मेहमान हूं, निश्चय है कि फिर ये आंखें सूर्य्य और आकाशको न देखेंगी पर तुम्हारे प्रेमकी लालसा हृदयसे नहीं निकलती।

राजे०—(मनमें) इस समय यह वास्तवमें बहुत दुःखी हैं। इन्हें जितना दण्ड मिलना चाहिये था उससे ज्यादा मिल गया। भाईके शोकमें इन्होंने आत्मघात करनेकी ठानी है। मेरा जीवन तो नष्ट हो ही गया अब इन्हें मौत के मुंहमें झोंकनेकी चेष्टा क्यों करूं? इनकी दशा देखकर दया आती है। मेरे मनके घातकभाव लुप्त हो रहे हैं। (प्रगट) आप इतने निराश क्यों हो रहे हैं। संसारमें ऐसी बातें आये दिन होती रहती हैं। अब दिलको संभालिये। ईश्वरने आपको पुत्र दिया है, सती स्त्री दी है। क्या आप उन्हें मंझधार में छोड़ देंगे। मेरे अवलम्ब भी आप ही हैं। मुझे द्वार-द्वार ठोकर खाने के लिये छोड़ दीजियेगा। इस शोकको दिलसे निकाल डालिये।

सबल—(खुश होकर) तुम भूल जाओगी कि मैं पापी हत्यारा हूँ?

राजे०—आप बार-बार इसकी चर्चा क्यों करते हैं?

सबल—तुम भूल जाओगी कि इसने अपने भाईको मरवाया है?

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