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संग्राम

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ज्ञानी—कोचवानकी खुशामद करनेसे।

सबल—राजेश्वरी, तुमने मेरी आंखें खोल दी। मैं भ्रममें पड़ा हुआ था। तुम्हारा संकल्प पूरा होगा। तुम सती हो। तुम्हारी प्रतिज्ञा पूरी होगी। मैं पापी हूँ, मुझे क्षमा करना......(नीचेकी ओर जाता है)

ज्ञानी—मैं भी चलती हूं। राजेश्वरी, तुम्हारे दर्शन पाकर कृतार्थ हो गई। (धीरेसे) बहिन, किसी तरह इनकी जान बचाओ। तुम्हीं इनकी रक्षा कर सकती हो (राजेश्वरीके पैरों पर गिर पड़ती है)

राजे०—रानीजी, ईश्वरने चाहा तो सब कुशल होगा।

ज्ञानी—तुम्हारे आशीर्वादका भरोसा है।

(प्रस्थान)