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पांचवां दृश्य
(स्थान—गंगा के करारपर एक बड़ा पुराना मकान, समय—१२
बजे रात, हलधर और उनके साथी डाकू बैठे हुए हैं।)

हलधर—अब समय आ गया, मुझे चलना चाहिये।

एक डाकू रंगी—हमलोग भी तैयार हो जायँ न? शिकारी आदमी है, कहीं पिस्तौल चला बैठे तो।

हलधर—देखी जायगी। मैं जाऊंगा अकेले।

(कंचनका प्रवेश)

हलधर—अरे, आप अभी तक सोये नहीं?

कंचन—तुम लोग भैयाको मारनेपर तैयार हो, मुझे नींद कैसे आये।

हलधर—मुझे आपकी बातें सुन कर अचरज होती है। आप ऐसे पापी आदमीकी रक्षा करना चाहते हैं जो अपने भाईकी जान लेनेपर तुल जाय।

कंचल—तुम नहीं जानते, वह मेरे भाई नहीं, मेरे पिताके तुल्य हैं। उन्होंने भी सदैव मुझे अपना पुत्र समझा है। उन्होंने