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संग्राम

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दुनियाको कौन मुंह दिखाऊं। सबकी एक ही दवा है। न बांस रहे न बाँसुरी बजे। तेरे जीनेसे सबकी हानि है। किसीका लाभ नहीं। तेरे मरनेसे सवका लाभ है, किसीकी हानि नहीं। उससे कुछ पूछना व्यर्थ है। रोयेगी, गिड़गिड़ायेगी, पैरों पड़ेगी। जिसने लाज बेच दी वह अपनी जान बचाने के लिये सभी तरह- की चालें चल सकती है। कहेगी मुझे सबलसिंह जबरदस्ती निकाल लाये, मैं तो आती न थी। न जाने क्या-क्या बहाने करेगी। उससे सवाल-जवाब करनेकी जरूरत नहीं। चलते ही काम तमाम कर दूँगा...............

(हथियार सँभालकर चल खड़ा होता है)

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