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संग्राम

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दोके दस तो तुम्हें जरूर लगाऊंगा। बाकी फ़ी पापोश एक रुपयेके हिसाबसे माफ़ कर सकता हूँ।

(दोनों सिपाही आ जाते हैं, दारोगा सिरपर साफा रख लेता है,

इन्स्पेक्टर क्रोधपूर्ण नेत्रोंसे उसे देखता है और सब

गश्तपर निकल जाते हैं)