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पांचवां अङ्क

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भर के लिये सचेत हो जातीं तो उनकी आत्मा शांत हो जाती।

चेतन—अब ब्रह्मा भी आयें तो कुछ नहीं कर सकते।

(अचल रोता हुआ मांके शवसे लिपट जाता है, सबलको
ज्ञानीकी तरफ देखनेकी भी हिम्मत नहीं पड़ती)

राजे०—आप लोग एक पलभर पहले आ जाते तो इनकी मनोकामना पूरी हो जाती। आपकी ही रट लगाये हुए थीं। अन्तिम शब्द जो उनके मुंहसे निकला वह अचल सिंहका नाम था।

सबल—यह मेरी दुष्टताका दंड है। हलधर, अगर तुमने मेरी प्राणरक्षा न की होती तो मुझे यह शोक न सहना पड़ता। ईश्वर बड़े न्यायी हैं। मेरे कर्मों का इससे उचित दण्ड हो ही नहीं सकता था। मैं तुम्हारे घरका सर्वनाश करना चाहता था। विधाताने मेरे घरका सर्वनाश कर दिया। आज मेरी आंखें खुल गईं। मुझे विदित हो रहा है कि ऐश्वर्य्य और सम्पत्ति जिसपर मानव-समाज मिटा हुआ है, जिसकी आराधना और भक्तिमें हम अपनी आत्माओंको भी भेंट कर देते हैं वास्तव में एक प्रचण्ड ज्वाला है जो मनुष्य के हृदयको जलाकर भस्म कर देती है। यह समस्त पृथ्वी किन प्राणियोंके पापभारसे दबी हुई हैं? वह कौनसे लोग हैं जो दुर्व्यसनोंके पीछे नाना प्रकारके पापाचार कर रहे हैं? वेश्याओंकी अट्टालिकाएं किन लोगों के दमसे रौनक