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पांचवा अङ्क

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बना जा रहा हूँ। यह दयाशून्य, हृदयशून्य राक्षसी मुझे निगल जायगी। भगवन्! कहां जाऊँ, कहाँ भागूँ। अरे रे......जला

(दौड़कर नदी में कूद पड़ता है, और एक बार फिर ऊपर
आकर नीचे डूब जाता है)