यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
पांचवा अङ्क
२९९
बना जा रहा हूँ। यह दयाशून्य, हृदयशून्य राक्षसी मुझे निगल जायगी। भगवन्! कहां जाऊँ, कहाँ भागूँ। अरे रे......जला
आकर नीचे डूब जाता है)
२९९
बना जा रहा हूँ। यह दयाशून्य, हृदयशून्य राक्षसी मुझे निगल जायगी। भगवन्! कहां जाऊँ, कहाँ भागूँ। अरे रे......जला