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पांचवां अङ्क

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रखकर क्या करते। सब जमीन असामियों के नाम दर्ज कराके तीरथयात्रा करने चले गये।

सलोनी—और अचल सिंह कहां गया। मैं तो उसे देख लेती तो छातीसे लगा लेती। लड़का नहीं है भगवानका अतार है।

एक स्त्री—उसके चरन धोकर पीना चाहिये।

राजे०—गुरुकुलमें पढ़ने चला गया। कोई नौकर भी साथ नहीं लिया। अब अकेले कंचनसिंह रह गये हैं। वह ठाकुरद्वारा बनवा रहे हैं।

सलोनी—अच्छा अब चलो, अभी १० मनकी पूरियां बेलनी हैं।

(सब स्त्रियाँ गाती हुई लौटती हैं, लक्ष्मी की
स्तुति करती हुई जाती हैं)

फत्तू—चलो, चलो, कड़ाहकी तैयारी करो। रात हुई जाती है। हलधर देखो, देर न हो, मैं जाता हूं मौलुद सरीफ़का इन्तजाम करने। फरस और सामियाना आ गया।

हलधर—तुम उधर थे इधर थानेदार आये थे ठाकुर सबलसिंहकी खोजमें। कहते थे उनके नाम वारण्ट है। मैंने कह दिया उन्हें जाकर अब स्वर्गधाममें तलास करो। मगर यह तो आनेका बहाना था। असममें आये थे नजर लेने। मैंने कहा,