पृष्ठ:संग्राम.pdf/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
पहला अङ्क

२५


समझा रहे हैं, पर मैं बड़ा संकटमें हूं।

कंचन―मेरी रोकड़ उससे भी ज्यादा संकटमें है। तुम्हारे लिये बङ्कघरसे रुपये निकालने पड़ेंगे। कोई और होता तो मैं उसे सूखा जवाब देता लेकिन तुम मेरे पुराने असामी हो तुम्हारे बापसे भी मेरा व्यवहार था, इसलिये तुम्हें निराश नहीं करना चाहता। मगर अभीसे जताये देता हूं कि जेठीमें सब रुपया सूद समेत चुकाना पड़ेगा। कितने रुपये चाहते हो?

हलधर―सरकार २००) दिला दें।

कंचन―अच्छी बात है, मुनीमजी लिखा-पढ़ी करके रुपये दे दीजिये। मैं पूजा करने जाता हूं।

(जाता है।)

मुनीम―तो तुम्हें २००) चाहिये न। पहले ५) सैकड़े नज़राना लगता था। अब १०) सैकड़े हो गया है।

हलधर―जैसी मरजी।

मुनीम―पहले २) सैकड़े लिखाई पड़ती थी, अब ४) सैकड़े हो गई है।

हलधर―जैसा सरकारका हुकुम।

मुनीम―स्टाम्पके ५) लगेंगे।

हलधर―सही है।

मुनीम―चपरासियोंका हक़ २) होगा।