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पहला अङ्क

४५

फत्तू--घर पीछे एक औरत जानी चाहिये। बुढ़ियोंको छांट कर भेजा जाय।

हलधर--सबके घर बुढ़िया कहां हैं?

फत्तू--तो बहू-बेटियों को भेजने की सलाह मैं न दूंगा।

हलधर--वहाँ इसका कौन खटका है।

फत्तू--तुम क्या जानो, सिपाही हैं, चपरासी हैं, क्या वहाँ सबके सब देवता ही बैठे हैं। पहलेकी दूसरी बात थी।

एक किसान--हां, यह बात ठीक है। मैं तो अम्माको भेज दूंगा।

हलधर--मैं कहांसे अम्मां लाऊ?

फत्तू--गांवमें जितने घर हैं क्या उतनी बुढ़ियां न होंगी। गिनो-१-२-३-राजाकी मां चार...उस टोलेमें पांच, पच्छिम ओर सात, मेरी तरफ ९--कुल पच्चीस बुढ़ियां हैं।

हलधर--घर कितने होंगे?

फत्तू--घर तो अबकी मरदुम सुमारीमें ३० थे। कह दिया जायगा पांच घरोंमें कोई औरत ही नहीं है, हुकुम हो तो मर्द ही ज हों।

हलधर--मेरी ओरसे कौन बुढ़िया जायगी?

फत्तू--सलोनी काकीको भेज दो। लो वह आप ही आ गई।