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पहलादृश्य

स्थान--चेतनदासकी कुटी, गंगातट समय--संध्या।

सबल०--महाराज, मनोवृत्तियोंके दमन करनेका सबसे सरल उपाय क्या है?

चेतन--उपाय बहुत हैं, किन्तु मैं मनोवृत्तियों के दमन करनेका उपदेश नहीं करता। उनको दमन करनेसे भात्मा संकुचित हो जाती है। आत्माको ज्ञानेन्द्रियों द्वारा ही ज्ञान प्राप्त होता है। यदि इन्द्रियोंको दमन कर दिया जाय तो मनुष्यकी चेतना शक्ति लुप्त हो जायगी। योगियोंने इच्छाओंको रोकने के लिये कितने ही यत्न लिखे हैं। हमारे योगग्रन्थ उन उपदेशोंसे परिपूर्ण हैं। मैं इन्द्रियोंको दमन करना अस्वाभाविक, हानिकर और आपत्ति जनक समझता हूँ।

सबल--(मनमें) आदमी तो विचारशील जान पड़ता है। मैं इसे रंगा हुआ समझता था। (प्रगट) यूरोपके तत्वज्ञानियोंने कहीं-कहीं इस विचारका पुष्टीकरण किया है, पर अबतक मैं उन