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दूसरा अङ्क

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पापोंका भी मूल्य है। उज्वल प्रकाश सात रंगोंके सम्मिश्रणसे बनता है। उसमें लाल रंगका महत्व उतना ही है जितना नीले या पीले रंगका। उत्तम भोजन वही है जिसमें षट्-रसोंका सम्मिश्रण हो। इच्छाओंको दमन करो, मनोवृत्तियोंको रोको, यह मिथ्या तत्त्ववादियों के ढकोसले हैं। यह सब अबोध बालकोंको डरानेके जू जू हैं। नदीके तटपर न जाओ, नहीं तो डूब जाओगे, यह मूर्ख माता-पिताकी शिक्षा है। विचारशील प्राणी अपने बालकको नदीके तट पर केवल ले ही नहीं जाते वरन् उसे नदीमें प्रविष्ट कराते हैं, उसे तैरना सिखाते हैं।

सबल--(मनमें) कितनी मधुर वाणी है। वास्तवमें प्रेम चाहे कलुषित ही क्यों न हो चरित्र-निर्माणमें अवश्य अपना स्थान रखता है। (प्रगट) तो पाप कोई घृणित वस्तु नहीं?

चेतन--कदापि नहीं। संसारमें कोई वस्तु घृणित नहीं है, कोई वस्तु त्याज्य नहीं है। मनुष्य अहंकारके वश होकर अपनेको दूसरोंसे श्रेष्ठ समझने लगता है। वास्तवमें धर्म और अधर्म, सुविचार और कुविचार, पाप और पुण्य, यह सब मानवजीवनकी मध्यवर्ती अवस्थाएं मात्र हैं।

सबल--(मनमें) कितना उदार हृदय है। (प्रगट) महाराज आपके उपदेशसे मेरे सन्तप्त हृदयको बड़ी शांति प्राप्त हुई।

(प्रस्थान)