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संग्राम

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आपने इशारा कर दिया वह काफी है।

(चला जाता है)

सबल--(मनमें) ईश्वर तुम्हें चिरायु करें, तुम होनहार देख पड़ते हो। लेकिन कौन जानता है आगे चलकर क्या रंग पकड़ोगे। मैं आजके तीन महीने पहले अपनी सच्चरित्रतापर घमण्ड करता था। वह घमण्ड एक क्षणमें चूर-चूर हो गया। खैर होगा।......अगर और सब देनदारोंपर दावा न हो केवल हलधर ही पर किया जाय तो घोर अन्याय होगा। मैं तो चाहता हूँ दावे सभोंपर किये जायें लेकिन जायदाद किसीकी नीलाम न कराई जाय। असामियोंको जब मालम हो जायगा कि हमने घर छोड़ा और जायदाद गई तो वह कभी न जायँगे। उनके भागनेका एक कारण यह भी होगा कि लगान कहाँसे देंगे। मैं लगान मुआफ कर दूं तो कैसा हो। मेरा ऐसा ज्यादा नुकसान न होगा। इलाकेमें सब जगह तो ओले गिरे नहीं हैं। सिर्फ २-३ गाँवोंमें गिरे हैं, ५०००) का मुआमला है। मुमकिन है इस मुआफ़ीकी खबर गवर्मेण्टको भी हो जाय और वह मुआफ़ीका हुक्म दे दे, तो मुझे मुफ्तमें यश मिल जायगा। और अगर सरकार न मुआफ़ करे तो इतने आदमियोंका भला हो जाना ही कौन छोटी बात है। रहा हलधर, उसे कुछ दिनों के लिये अलग कर देनेसे मेरी मुशकिल आसान हो जायगी