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तृतीय दृश्य

स्थान--मधुबन गांव, समय--बैसाख प्रातःकाल।

फत्तू--पांचों आदमियोंपर डिगरी हो गई। अब ठाकुर साहब जब चाहें उनके बैल बधिये नीलाम करा लें।

एक किसान--ऐसे निर्दयी तो नहीं हैं। इसका मतलब कुछ और ही है।

फत्तू--इसका मतलब मैं समझता हूँ। दिखाना चाहते हैं कि हम जब चाहें असामियों को बिगाड़ सकते हैं। असामियोंको घमण्ड न हो। फिर गांवमें हम जो चाहें करें कोई मुंह न खोले।

(सबल सिंह के चपरासीका प्रवेश)

चपरासी--सरकारने हुक्म दिया है कि असामी लोग ज़रा भी चिन्ता न करें। हम उनकी हर तरह मदद करनेको तैयार हैं। जिन लोगों ने अभी तक लगान नहीं दिया है उनकी माफ़ी हो गई। अब सरकार किसीसे लगान न लेंगे। अगले सालके