४८६ संतजाय। एक एक देख्यो सकल घट, जै से चंद को छह । से जाो काल ज,एक एक सबमां १३!t जहूं लगि आये जगत संदनाम चीन्ह नहै कोय ॥ नाम चिम्हे तो यार हैं, संत कहावत सोय (४। दुनिया को मद क में है, संतन को मद प्रेम । प्रेम प.य त पaर है, कुठे कर्म अश्रु ने 1५! । जब मन बहके उड़ चलेतब अामैं नह्म ग्यान ॥ रयान खडग के देर से, डरसे मन प्राम ।। निराधारअधर नहबिन आधार को राह है। शिव नारायन देश कहेंआपुiिह आयु निबाह ७।। संतमत = संतमत । अर्ग =फ्ढ, अमिश्रित । पुरत पदारथ =पूर्ण पदार्थपरमतवपरमात्मा। । चालिस . . . धरिचालिस प्रकार के नैतिक गुणों के अनुसार आचरण करो। छह प्रतिबिंब । एक-एक=वही एक परमात्मा हो । निराधार . . . राह =संतों का मार्ग किसी के आश्रय या अदलंब की अपेक्षा नहीं करता । देश =निवाह संतों की स्थिति को उपलब्धि स्वानुभूति द्वारा ही संभव है । संत भीखा साहब भीखा साहब का पूर्व नाम भीखानंद चौबे था और उनका जन्म, जिला आजमगढ़ के परगता मुहम्मदाबाद के अंतर्गत खानपुर बोहना गांव में हुआ था। आठ वर्ष की अवस्था से ही साधुओं के संपर्क में आने लगे थे और बारहवें वर्ष में विवाह के समयघर छोड़ कर भाग निकले थे । अमण करते हुए काशी पहुंचकर इन्होंने पहले ज्ञानार्जन करना चाहा, किंतु जी न लगने के कारण, वहां से घर को ओर लौट पड़े । मार्ग में इन्हें, गाजीपुर जिले के सैदपुर भीतरी परगने के अभुआरा गांव के ए क मंदिर में, किसी गवैये के मुख से एक ग्रुपद गायी जाती
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