श्रमिक खेप । ५४९ राधास्वामी के हत सुनाई । अब सदगुरु का पकड़ो हाथ है। खटकत=चुभता। पात -=पता है । हिरसोलबल देखा - खी काम करने वाला 1 सनम निगरा । साधना-परिचय (३) घर आग लगाने सखी। सोइ सीतल समूव समावे ।१।। जड़ चेतन को गाँठ खुलानो । बुचा सिन्ध मिलावे है।२॥ सुरत शब्द की क्यारी सींचे । फल और फूल खिलाये है।३।। संगम में डल का ताला खोले । लाल जवाहिर पा है।४है सुन सिंखर का मन्दिर झांके । अद्भुत रूप दिखायें ।५३ सम सरोबर निसल धारा के तार बिछ पैठ पुन्हाखे ।६। संतन साथ हाथ फल लेवे । धूग ग जगत सुनाबे ।७।। महासू का नाका तोड़े । वर गुफा ढंग जाये ।' सत्तनम पद परस पुराना । अलख अगम को धावे 18!। राधास्वामी सतगुरु पहुंचे में तब धर अपने आवे 1१०है। नाका तोड़े =प्रवेश करे 1 परस स्पर्श करके । सूरत की साधना (४) सुनै पनिहारी सतगुरु प्यारी । चली गगन के कूप 1११ प्रेम म डोर ले न घट ग्राई ने भी गरियर खूब १२। शड्यू पिछान अमीरस पागी ने देखा अद्भुत रूप ।३। नगर अजायब मिला. डगर में है जहां छांह नfह धूप १४। पहुंच जाय आगम पुर नामी। दस किया था।स्वासी भूप ।५। पिछभ =पहचान करने परिचित होकर । मों की समधन (५) धुन न धुन डाल अब सन को। में धुनिया सतगुरु चरनन को 1१। मन कपास सूरत कर रूई । काम बिनौले डाले खोई ।२
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