आधुनिक युग . ५६ गती ले गुरु से सुर्त अपनो, उसी धार को पकड़ चढ़ान ४। राधास्वामी मेहर करें जब अपनी, निज स्वरूप घट में दरसाम ५५ जाम =मूल स्थान । पिछानो मानते 1 समान - व्याप्त है। कहान=कहलाता है । चाहन चढ़ जाता है । विनय (२२) रंगोले रंग देओो तर हमारी है।टे क।। ऐसा रंग रंग किरपा करजग से हो जाय स्यारी (१। यह मन नित्त उपाय उठावत, याको गढ़ लो सारी ।।।। निर्मल होय प्रेम , जाखे गगन अटारी ५३। तुम्ही दया होय जब भारीसुरत अगस पद धारी ४१॥ राधास्वामी प्यारे मेहर करो अब, जल्द लेव सुधारी ५० व मरो मनोवृत्ति के गढ़ लो सारी=पूर्णतः सुधार दो । बुपके चपके बंटकरकरो नाम की याद । दया मेह से पाइहो, तुम सत गुरु परशाद १। पिया मेरे और मैं पियाकी, कुछ भेद न जानो कोई ॥ जो कुछ होय सो मज से होई, पिया समरथ करें सोई ।1२ ? जो सुखऋह तू देसक, तो दुख कह भत थे ! ऐसी *रहनी जो रहे, सोई शाद रसले 1३। परशाद सदकृपा से स्वामी रामतीर्थ स्वामी रामतीर्थ का जन्म पंजाब प्रांत के गुजरानवाला जिले के अंतर्गत मुरीवाला गांव में हुआ था । ये सं० १९३० में उत्पन्न हुए थे और इनके पूर्व ‘गोसांई बंश के ब्राह्मण कहलाते थे जिनमें प्रसिद्ध
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