५६८ संत-काज्य , सूरज और चांद । मध्यल आकृष्ट, इच्छुक्ल, प्रभावित : बंजर =तलवार । गदामो शाह=भिक्षक तथा महाराजाराजारंक। राजिक =. ==पोषक, अन्नदाता । अफ़सासो तंगदस्ती -=दरिद्रता तथा निर्धनता । कायल :माने बाला, पीड़ित ' >इम ==Time समयकाल है, मुजरा दृष्टिपात, कटाक्ष। जायल=क्षीणदुर्बल, शक्तिहीन ।. हम बगल =एकही अंक में, एक हो साथ । हर आन =सदा, सर्बदा । वस्ल=मिलनसंयोग । हायल =बाधक । उल्लास की अभिव्यक्ति (२) यह डर से सिहर आए चमका, अहाहा, अहाता ! उधर मह बीम से लपका, आहाहा, अहाता ! हवा अठखेलियां करती है मेरे इक इशारे से । है कोड़ा मौत पर सेररा, नहहा, अहाह। ! इकाई जात में मेरी असंखों रग हैं पैदा । मजे करता हूं में क्या क्या, यहाहा अहा ! कहूं क्या हाल इस दिल का कि शादी नौज सारे है । हैं एक उमड़ा हुआ दरिया, ऑहाहा, अहाहा ! यह जिम्मे राम ऐ बदगो ! तसव्वर मह है तेरा । हमारा बिगड़ता है क्या, अहाहा, नहहा ! मिहरसूर्य से मह =चंद्र । बीम ==भय । है ... मेरा मृत्यु पर भी मेरा पूर्ण शासन है । जात =स्वरूप । इकाई . .... पैदा मेरी एकता में ही अनकता भासित हुआ करती है । शादी =. आनंद । मौज मारे है =तरंगित होता है । दरिया =समुद्र । जिस्म राम स्वामी रामतीर्थ का शरीर। बदगो=अनुचित वार्ता करने वाला . तसब्बर-कल्पना, खयाल से सहज=केबलमात्र ।
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