पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/१३२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मए -समारक मार्ग • चाखतरे मनित fatigनीपञ्चम् नमन का पE)। पा--का मरना नगरी में तैर कर [.--. कसम सत्र, बोर पार करमा. -निकायको निषा सिके काइना बीजाम, पान मूल, बम अनुमा राम की पारी मियादी पारका रोग गपिन wit जाती है ! ) का निशाना, वाजप मिक बननाच का पर्क मोहम् मारा बनाने के कारण राना, 10 विकेलए मय पिंपूरे हाथों की - निपटनमा मिसिम माप मध मागासमा निरज (ना, । निर्माना, बिहे MP नभम.- कमरा बाहरी । गानं बसा. नीष गोना, लडारका भनि पहिलाजनक ..! भा । विदर्भः । विगारी # निष्काम मनोमानव (7) निम बोने के सा तक माय में उप मजन्त। का बका दिपा पाप मकि. पा. गार का र प्रवि[एम -4] 12 नामगित कामिन काम-कानन नाही नादिर- प्रवास पनियों बाबत.41 पिन पुस भाग्य * Fमन रामपाल गर.नमार वह व्यक्ति जिान पाम्प शान न लिया मित् गा. मना गम निगम पाल करनं नं नमाका ramethyfary [काठी, यूनं : | माल. मा गारं बताता है गामारमा । मिलि-३|| 4.2 गण पाहामगि [लोकन [+कि 1 मकाथ, मपन मार र राम नपाल फर , पचा, माग पेपा । मृगला.इनकारी । जिन ज्यामेमा जि का पता बोहाई 5- मान लियान. बिरा गरा, मांजन कुमर पारी 4 स्किार में माना, भूपच प्राण का मार नबन्द्र में वाहन ५ माम १५ पदाचों में मग 10 पानि A Tantra में भिगा गर्व गम उपा गन 11 पार पोनिक को रबि वानमा पर। मित प्रकट करता मदन नई स्पषिक कांग में पन्त-सार जका बाल पा ५ न.प.रिर भि पर को मामा न निवळ किया, --पायी माफ बोकमा गा गया विवाम मह को समता-मोह प्रचार पग-भागमा करता है 10 मिनिकी निगर निर्गषमा हमाल जापानमा गापामी, माण। ममा चाही पत्रीका अनि आबदीन बना -01-4.-काय 4: बनव्या पा! की रि, रमि का एप । प्रामाग्नि,-पाचा nिmi TH Ifo[+मन+7 पानी परमस1 पर होने रिम नि.] । पूर्व या वन का in मायान वाहन बाला । गगनी की गांद लामा (प) टोमग मा काम Sol+मा. पापा, म + पन पकान : नुनि बी.):- अरा] (वामा में। 21 पन्ना मिपा पनि पान पान मंचा, बहम. gif (40) (41- मल मागावी. पत्रष्दा मिमितोमय-बोल को प्रातः । मागपत मां मूसर पर षा पिचार गएकाग- IT धमलाणपक था। CIA) LT-wf] 1 Frota 1 win, मिस एक पक या उपाधि में फता का पंक। प्रजन पिपल, भिमादी पार, मान। पूर्व विभिए Pr,PAIमा मार्मिक पुका । प्राचीनतम, सल्ले पुराना गयन पर, nिe | Teमत कमल का नगमाय पु.) विष्ण-जी [4] 1.बड़ी बीपा पाख कारोबा। ममा- मनोर कोपीगा तीन की मम्मी पापीठ गोर कीम, मुकम्ममय भुको रसीली मा माही बोरामायबापी फर कपल पल - किमानसा में मची मनो। गाकार (.) राम