पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/१३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[11) आपसमम्मतिर कामनीषानीय नियनि-या बमुन्टाम-41-मीनी +पूजाय.] पोषक का अर्थ हो यमी रस्तु 2 बागमनमा समान कासात एवोत्रकाच, सगन-कहा, 141 हिमाण एकसार सामान सिम 1-1 [जामस्वंग स्माम बसमाप, चा में निकाल जोश-या हु+की+-अपत्य प्रसपान का विसा भामरारका, साकाम, माया मा मवा, असाचार्म सालोम बम्पानामा पनियां) श्री मया - मारमा म और मोक पु, कुल्गव पुपाल की कार में मावास्या बिय पर बार और बहा डाला झा पांसेनापति र उत्पन्न के बागायनमा भाग। परमार, प्रकली, पूनम पायाभा, New.fa.) [- (Rt. जाधव पन मा Nik कम-बाद-हो माठ, पूछ बानो का क्या मिग्वारी परवानगी नातिन तिवा 'पा मक वनों से पिककर सो समान में पटा --मीनीयर, महमा चिवरिया में १५मानाचा जाब जियादिः, महा. परमा। - सिमा बस म. ...meift पर प्रति गम् । पा मकाम हो या 1.परीर के बाद बन जिनसे पर न ल .न. पति नम्न बग्गन सिराला, 'पल-समाल -] 1. नी भागाकार हो, भौर का यो आम्हानमालमा भीरमा बाबान मामी कन का कही गनु १७,1 गप्ता का परिमल-बानुमा तथा पदमा fits || Mसभा में बाप । गामिन्यामुरसा विग, शिरसा पत्रमा इदमा मनामो- मनिट (1) भव: अभाही. पं का राजरत 12 नोनापस्म वर्ग मा की फा- नभाय मारः बो (क) मलामो बंध गाना 3. पूजा की मामी यात्रा माठ गसिपमा भोगी के रूप में प्रणाम सो उपहार, 'माह गनियों से मौ जागरण एका प्रकार की भार बहार जी म. मन मा सी भम्बर-1 २७ नक्षत्री पं नयाँ गार र सभोप-रम, पनवगति मे गत पना नहy (चिम मोन 13 एल. पवरमा - रमीत वाम गृक्षमापनस, अजग यो परमपनाएमाग को मान मानो रामगोलाक्पानिपतितामया बानं मनी, मूर्व पनो यो विवादों के रूप में मा! पनि माया बनमा बाकरवम निब बाद हनी। मम:- मा.गुली तो मुममा अचारभास्कीमपाकिटकांनीच पली बीवनी के पुत्र । ! frj माउ खिको राता, hair-मबोट्रां में लगवासा को काठ कानों वाला, (-) या भी का प्रिय, या भोपी का मगृह चारोही की उपामिर (पं.)..कि रामा पाने सेवा...। ५ माड कष पूरबार (माह बम-बापाने A f. परतीनि च । प विप सपा निरूपयो, पथमे कार्याचन मार की मनमानी बबहारस्य वर्ग, स्नूरपोदा समसारमामये केमोमबार विरिल शला किया। नप । सन् (सम्ममा पार,-बोन बाऊ मन, काया को मामा, कपा-मान वार पौधा कहा, मामा पौर्णमासी बापारी ला अस्ति पुत्र विभाग का मामा, दापोभूयम् मा मा मनामा मदीना प्राप पर 10.1-4) मह माइ नगदी एम्ब भापा बाता है)। बाय पारें मान माहिए-मामल, पान.. पंडल पर का! माठ मानों माना Hrs बनमा, पाचन, ममामामा, जमाना की पारिमित मानो मभाग) अस्पड़ा पनि यो गाविसमत पूची का जानकार है, पा उनका मम्पपल रहा है-म नेल-4(4) पलानि (रि. पृधिमा । पचाएसमको भरम का मान : हाती, शा हो बाब-ma. गंन (समी, बष्टयोनी गिन2 नीम, 1.मा) ( निस होमों की कटान, मामाका सपंक होता Hereiti am साम, tet मामा मामा वा - "म" - ASE