पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/१५९

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समसारमाण पत्रधित,

पर, बापामाणिक गन्य - मामा मामा मिम्मित पाप व उत्तमद्यावयपा -महा.) हुग प्रभा-प्यून 2 काम । मालप. प्रचर, जाग। समः पर विनो-- तको गौं माइगना, पः पंप चाला, मृयाम लामी गपयननमो यया । -आतमात्यमोहन बागमू-रमार TE MOTIो) सणा-या कापड. साम मरामिका, बमबाण बाला मावा लापन, .-मानना m. it. , पत्र भारत-जापुर (6) -M, १५ न रामपामिशतरबम्..... ५५९। रणमा मन सपा या मानयि होने माना। -मन पर्समा भूप ना. मन मामा मmar+मा+मम् | नीव, बोल, मन-म • आतपमानधनवापस्वजरोरा कान्तमा-स. विमान में होकर मकाना, -बाना कारला सादा परो-पतिकार दाबा सूर्य नाममाम बम्पपी. गमत्यपा । मिसानपाराम-रसु. २७०५.-समावि.) बाल (पो -ओ) [+] वन धूप में मनाया हुमा। it.. बापत भापमा मूमला। समाधानम+रिस्पर प्रिय । मामि (पी) [+]] पोकरे की बात मानत जन माइ । ब्रम्, नग्न, गा) वकीमा बढने के कार का पारा टोपाडी उताएप, पान। वीधर बार की यार। माम मा+सप्तरपूर) सप्ती माला, माय [fa [सपं का मापक होने माता समुष्ट करना. बार या प पर सफरीला कि पानी)- जिग्गी पाणचामि (जासबागपत)। गो का र, पशु-पतिमा का समूह पशि-माताप (M) म {+लम् (धान) | पिनि एक पटरी गारकी भरप, कोषा। बात। तण .