पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/२३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( 14 ) विस्मोन 1. पत्र वीm-मान- 4.मान्यवन। पंको बरकर मन+त+पाप, चम, I - I, II नपाएसम्मोकामा-पार अपयानमक Tita) बगी- मापनय मापंच, उपासम-बातोमाता मंग -वर परिमा, गणे-ला - यो मामाय च पुकासारण पूपर कामामात् मना, भूपमा पुनपयो मा रोग भारिसरच कामा परिमन का पुष, मेरबका मजम में सोल, सुमन इतिषसा की यानि के कारण किया --युसी मान[--निय] समारम नामुल्ला कमिः सम 1 शमवाण माहा...५४५. प्रया माने जाते है भागरिक राव मा-[iy++बनी. मौका यस्ता पर की कमांस समय है... ---गुणका-२, वास्थमम्म! प्रचीता, अयापिकम्पोषक वाला मुखपदभमानामरापुन मान्मम् पात्र मनसापि नौनिए- २. काल, बामा (m.) एक मत- सोग+ti.jामना, मा। कार. रिममा - समापनदीमापुमामासम्म पुष | श्री (पी)-म, बो (बारावल, तपशबानमुकार--नमक, हरयो लिए पिन, समा उरत-पापमा.मानपान- रममा रया १२१. १२१ पुस्तराम पब मधमालोचोप-51 अभाव, मनुभाग, पर्म, कार मानि कि भामरे (म्मा पर बीमार गाविस-नषित वरचाना, रस उमाम गाम मरमा, सपाना-बापांचवार पाबाम्लिन- गलासर उप --बार - मित्र +स्पट ] मामा । मानमहर्षिनर-महि ute १८१ Tiwas व++त. ला. पोटला--पर समाप्तीज-मनु. विश्यात. १७] या रसमा । सम्मो [Frj! उनिहन-47 ] का हमा, पिप्ता | सन 1+] प्रभात का गैपना सका गि गरा बनि पा-मई। लहानपणी। बलामम् : उपप-वामीन!, रमा मन वनस्लट 1 काही पिणे 2. बालन पारगावकरीमनगं पा र समपा-कम् 1 अनि से। --4M- कों मेधनः, साहना । ma मीन+म| 1. पी करना, मार-मी- मनुका ++पट, मका पारिवामि-एस-अप व्यपाकित और की संभामर्ष संदपत्र काम पं रहकर 2 कामीन प्रकलाफा- मुम् मा. द. १०५-सोका सम्पपूनम, पन (मात गौर माम) मयिकादेमी (ध..4 नगरकों में प्राप पनिग के रूप में प्रका। प्रकार । सी चिन का वणवान, मापकातीव सध्या । मानेका च | क्षिण- पकन कि वर्णन समा-मामगि सर कित मूगमला, गाई (म० मा में !मा भोमसम्मकारम-+-] 1 प्रमाण कार, ये एक मकान बनियालेखादेपत्यास को घटना ! HEAT काय या रिहामी माम कायो यमि मा काम गर्मितिम परवी । पचो, बटनही राम की पुरी -हार ५१९ मा ०५८ गाना, तमा निरुद की प्रती [षामनिया में सुत्पमा, कामना, अपमान-1...' बेडा पार उस पर मोहित हो गई। जो अपनी २१२। चित्रलेखा को मापा मना-मोकाने शालेयानम् - I काना, सुषमा, जो बयान दिया कि वह माल कालापनपा समी सीमना बाधिोगमा १८० रापमान के सि ममने सामाधा ५१ 3 अमन बारना कित किया तो वह विश्व को पहचान लिया मोर ने अपने अपर में निकाय पहा विक्रम मग [ उम्मी+मण विनात मा पागिपांना अनिम्ब से पिंबाह हो पा-... विधी पदोभा तिरपात - याम स्वामी मषिमा पुर्ण (f.) [+ मोजमग.. उस्य कवम् पनि मन अधिक त्या का पति । लिन।