पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/५२५

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1 का दोषण - एक का उचाल, भानन्द- मान काति रो -- | गन् । यस नाम-मिलासोपान मा To नि । नाती (बके का पूर्व वा काकी का स, मुदा एलान बना ली पुन।। भा. - गौते पानी ii. jiभनथए । पान पाम, काम, माता- हरिधान। मत, नववस [18+ मत मापेष, गाद +मित्र नमन नपान मर्ष सा-अमर, भाषा- --ए (4पुष, 0 सादे | 1मान, मरिश-खु. ९. नया नाम ||1 भुगी मम्मलता, नगः17 .मात कांहरा, भनाइया. मछिंश मिट्टी का पात्र + गलोचोग्न की कथा सायु (1) + ना, तिकी बहन पतिाया, पछी और एका वर्षा सिका, FITN (जमाई-मगरन के सन का Arभिष', पह गम मिाि अनुहा अमनपुरी) पात्रग मास- परमा- यमनी भाई। मन नाग नामनिभावनादा- संन्य' पू.. तो नन्वन-जन ] . प्रममता. मो' EिRai,१८५ नाम समाध्यानपिन 01 विष्णु भाव र श्री.- कालिम् (ए.) tot-मा 1ि12113 सिरका बस मानना सारमा मुम पुस, 12 कानपुर। गना - राब पर गिर निहारी १२॥ -सा 1 fitnा पिप निकाप्रमाण [-11 पता मी सरर-नाम या राव नहीं स्मात नामावत, परिअपा 2 पाकाण में भरा रहा--गोपन का भी पानं मान -श्रीपः-धूप मानवी -अनः । यि का विवर मित्र गर अकाल नगा-प्रग. वा. -निगम पक्ष मत अपविभागचा पा पूर्णमा । भात निधन नभोमस मग. गनिक [न प्रस्ताबर- | 6. प्रोप. करमा-रम (1) भार पाल कानुन Fमा-मः, -घर - ने जो कोहरा, प.-- साप.. 1 गिय का एक पुल बा full वि०माकानो मे पागा, उन्ना. गुहा नविन वि० [न] मनि.नन्द || बाल-र (१० वा-त्रि ११. रिन 1पाप कागा. । गाकर प्रान्ति का ! - मामा-मा (fojgी जलन । जाना प्रसन राम माना:-:५APTO नापीपल कमान पाने वाला यमि नमसः [ नः । अमन् ] लामा, वर्षा का [+ पल्प पना, गगार, परम : पर भार मिल करता है नितारा: न । नभालगप : नम : र + पृषु, पतो। - २४१ मा १६, नां'1 मत्री नयनपत-भायर के मनुस्म) र ननन, ' गोदारा माननार का | मापन का महीमा -स्व. ५४.११ १७॥१॥ मन को मन मा को हाना जिन का राणे प्रवाल जानकानन नाम ! सार निदरम् -मष, भय व ] ARY पन्न वाम रपु. १२.२.६५ . नगामा पुण्याती अंकाला - ना. वाय नै. विशेषण पनि कार्ग एषसो । १५. पु. ४०.१०२, दि.t (30) पात-पाप जलानमा मनाले ! ममता नम+]! ART 2 रा का विषय प्रशतनाव | IIT में पुल) पांगा, पया बमान (Ha+in, नम्मा समामे प्रकृति- ननूनपाए। काला रावल मातीदा। गपूर १०)स । नशा मजांच प्रतिमान ] तो! मन (न्य.. र. कनीनी-नवि-ले, नल, पने है। हिवता। मेरा नपरि मा उपप्तगं पू होने पर वन पासक-पान न यो निकांपुसको पुमन नपति' • निममति सुमन, वाकार पापा । तिनी न ला में पुरुष ? प, मरिबाबन काना (मम्मान मन लाग) नामद, हिना , मीठ, पोषम I नपुसा । | पा सप. माय व जति पनि विष का पद भवति । मेलोचनपुगि--- ९८९, ११९२५ समा