पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/७०३

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पा गति.- ला भजी मन पूर्व मपनी पारो वर्णको पज कर देगा। प्राधिक+न+मबाण, पक्षी, वय । प्राविनि पुनम गिनि । तापि बामक, रखवाम--- । पायेगम ! कधी देवमाशा बोग+वर्ण रोहिही नत्र । भास (1.) (NT) [ पर मानाति दलि in- le=पर नहलाय-बग ] मलीची 1. बुद्धिमान . विद्वान्. नर-विमुभ प्राशन मुमार - वना-1 स्मिान् पुख सेफ शशतबिम्पति-बेगो, भर tuity एक प्रकार का पंजा-बुद्धि, समका चतुर मा सपना सरी पार गा विधी मी 2 विद्वान पुरुम को पानी । सूर्य का पलीमा नाम । मांगा (10+at+ग] 1 चुर, ताप्त, नत, बांधकाम मnिापाय प्राष्ट्र "म १६१. पि. १०५५ १ दह, विशाल. भावपूर्ण प्रामविका- रापि प्राय गाय तुगमन परिपका मनमा -गंगा५. पान.) [ब-मन] निस्कन, समयमा, सरा मानगर, मिणप पाम्बलि ) PR -ति और-haनता मोर सम्मान में निकायस्य विमनं य और दए। गम्यमिक, पारिन (वि) प्रिनि+मन, नि मर] पाला। पात्र [-ब-पापमपाकाम, स्वाथ बोला ना सन. गंगाक्ति, चीनन, बीनाशकी वायु सीमा का कमाएच ( मा पौरपान पिनो में पत्र-प्रक, अपाम, समान, चान मोरा-बायकीणामलीयवां-रप- २५३, १५४न में पांच भानों में से पाला विमका रवान फेफ) मा 2.4 पाकु. भादन आधा हा मामा, मा, सामर्थ, पति. अंगाकि पानवारीव पा आरमा गरेर समसायि-पनुः १४+गो के मयप्न स्राव बापि, मिक म्पकिा मान-केत्र-कोश कोगमत भाग पापा पारा म धूपर -९२ बर्थविषयको यहि- रचा प्रागा: अपः ॥ कता का पा, काथ- पर जा. स्कूति 11 ममकान माभपहर -सा कि नापन और सम्पपाक में 12 पाचन 11मर का पाप सह सोमान, पर। ममा असिपाही नोकियामी का अप, माना। त्रा की हानि-:) 1.जानी जी भिमफापम पर काम -अनार पति-बिया आत्मा.- पप, (नि) 1.भालकर 2 लासर यो बाहा, चीन के साथ ही समाप्त होने वाला 1.सीका पक (म) मा पारित 40) पान पाना-अपन गादिय-प्रमात मोक्न भागलि प्राची कात्र-म०६३. या प्रक्षनाच-मर (R) NRN. गावर, पायवाटक, भाम: जोगाको मति, नायमः कालो का मालाह-पाठ करते. हुए सौर रोकना- --वर प्रेमी, पति-जरक मामिः २५७, -tar,ant फली, त्रिपा, यामिनी -२ का बाबा रा गौर को भोजन मा-मबार भोमन, - मन लोकनका मारा, धानों को बय- बाबीपन का नाम करप पश्मा-(पि.मारक. श्रीपन-नाक- कप, पापा 1 मापहवामपना 1 पाचा संपर, लिगा को घर-पा नंती का ए-मिग पनि-माल दागो की भैर, मित्रीको जान बचाना,-गड. विमो. मी बार पर बागमन-चार: मीकि प्रागो,-धारमा माप- पोवा बीवन का छाग: बोधगला--नाब' 1. भो, परि 2 कप का विरग, हिसार लला. कामावरोष-नि.मो, पनि आत्या, -परिसराल होलिप में माना. गरिबाद ओपन- सरल करना, बीवन का असिः रसना-भांति सीमन रेने बातम, जोधरा पाता,-परणा प्राचां का पता वानर मत्प.- 'माणो से सगा प्पारा मी, पति, भेष (वि.) मातुरेभा. म्या, स्ट- गुरु (पू- मानमरा व कोत मापनता से मु.२३.-मोक्ष- नम् शो का पछा बाना, दर आत्महत्या, -बाबा का सहारा एरंगोषण, वाषिका रिचात गापायावा भारतीय पागोष (स्त्री) बीवन का air, 1 मा. ना. -रोक कालापरोपजीपन को खतरा. -ब-विफमः शोषन की नाप्न पम्प, -लिफोम: पार में बाामा मा किन मरममा प्रागों का सम, नमः भागमा रोकना, ", -लोपः कोका कोबरा, जीमत को अप, भीत्रम पतरा, मान जय-जोर-मार(वि.) बोचा होशिकाका.बाव में एकल, पतषण बाहिक -मिरवर कप नार प्राचार (नाम निश चार (पि.) 1. अपना नाम का अप-