पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/१७०

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१४६ सचित्र महाभारत [पहला खण्ड सैरिन्ध्री ! गन्धर्वो के अत्याचार से सब लोग बहुत डर गये हैं। इसलिए तुम जहाँ चाहो जाव । यहाँ तुम्हारा रहना अच्छा नहीं। द्रौपदी ने कहा :-देवी ! राजा थोड़े दिन और क्षमा करें। कुछ दिन बाद मेरे गन्धर्व-पति मुझे ले जायेंगे। यदि गन्धर्व लोग गजा में प्रसन्न रहेंगे तो इस राज्य की बहुत कुछ भलाई होगी; इममें सन्देह नहीं। १२-पाण्डवों के अज्ञात वास की समाप्ति जब पाण्डवों के एक वर्ष के अज्ञात वास का समय आ पहुँचा तब राजा दुर्योधन ने उनका पता लगाने के लिए देश-विदेश में दूत भेजे। उन लोगों ने कितने ही गाँव, नगर और देश छान डाले । पर पाण्डवों का पता न चला। अन्त में जब साल समाप्त होने में थोड़े ही दिन रह गये तब वे हस्तिनापुर लौट आये । राजा दुर्योधन की सभा में द्रोण, कर्ण, कृप, भीष्म और महाबली त्रिगर्तराज बैठे थे। इसी समय दृन लोग लौटे और हाथ जोड़ कर कहने लगे : ___महाराज ! हमने बड़ी सावधानी में अगम्य जङ्गल और पहाड़ी के शिखर हूँद डाले; सारे देशदेशान्तर और शत्रओं की गजधानियाँ रत्ती-रत्ती हुँढ़ डाली, पर पागडवों का पता न पाया। पाण्डवों के सारथियों को खाली रथ द्वारका की ओर ले जाते देख एक बार हम लोगों ने उनका पीछा किया। पर उनसे भी कुछ पता न चला कि पाण्डव और द्रौपदी कहाँ हैं या किधर गये हैं। मालूम होता है कि वे अब जीवित नहीं। इसलिए आप स्वतन्त्रतापूर्वक सारे साम्राज्य का भाग कीजिए। __ महाराज ! एक और खबर है; वह भी सुन लीजिए । मत्स्यराज की रक्षा करनेवाले उनके प्रबल पराक्रमी सेनापति कीचक को गत के समय गन्धर्वो ने मार डाला। उनके भाई-बन्दों को भी उन्होंने जीता नहीं छोड़ा। दृत की बात सुन कर सुर्यावन बड़ी देर तक चुप रहे । उन्हें चुप देख मन्त्री लोग कहने लगे : पाण्डवों के अज्ञात वास का समय अब समाप्त होने को है। ज्यों ही वे एक दफे प्रतिज्ञा के बन्धन से छूट जायेंगे, त्याही मम्त हाथी की तरह क्रोध में आकर वे कौरवों का मुकाबला करेंगे। इसलिए यदि इस समय उनका पता न लगेगा तो बड़ी अाफ़त आवेगी। यह सुन कर कर्ण ने कहा : महाराज ! कुछ ऐसे वेश बदले हुए धूर्त आदमी, जो पाण्डवों को अच्छी तरह पहचानते हों, हर एक बस्ती में लोगों के बैठने की जगह और तीर्थ आदि में भेजिए । वे नदी, कुज, नगर, गाँव, श्राश्रम और पहाड़ों की गुफ़ाओं में फिर पता लगावें । कर्ण की हाँ में हाँ मिला कर दुःशासन ने भाई से कहा :. महाराज ! पाण्डवों की खोज आप उत्साह के साथ बराबर लगाते रहें। या तो वे कहीं छिपे बैठे होंगे, या दुर्दशा-ग्रस्त होने के कारण मर गये होंगे।