पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/१८२

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१५८ सचित्र महाभारत [पहला खरा हे सैनिक ! हमें यह समाचार बहुत जल्द देना कि कुमार जीवित हैं या नहीं। उस स्त्री-वेश- धारी नर्तक को अपना सारथि और सहायक बना कर क्या वे अब तक जीते बचे होंगे ! यह सुन कर युधिष्ठिर ने मुम्करा कर कहा :- महाराज ! जब बृहन्नला गजकुमार का सारथि है तब आप चिन्ता न कीजिए । कौरव लोग गायें न ले जा सकेंगे। ये बातें हो ही रही थीं कि दूतों ने आकर उत्तर के जीतने की खबर दी । विराट ने बड़ी प्रसन्नता से उ हे इनाम देकर मन्त्री से कहा :- सड़कों पर ध्वजा-पताकायें तुरन्त उड़ाई जाय और यथाविधि देवताओं की पूजा की जाय । योद्धा लोग और बाजेवाले श्रागे जाकर उत्तर से मिलें और बजाते गात उन्हें नगर में ले आयें । सब लोग मतवाले हाथियों पर सवार हो कर चारों तरफ़ जीत की खबर फैलावें। कुमारियों के साथ उत्तग अच्छे अच्छे कपड़े पहन कर भाई की अगवानी के लिए तैयार रहे। उत्सव की ये मब तैयारियां जब होने लगी तब बड़े प्रमन्न होकर विगट ने द्रौपदी से कहा :- हे सैरिन्ध्री ! अब पासे लाओ, कङ्क के साथ हम जुआ खेलेंगे। युधिष्ठिर ने कहा :--मारे आनन्द के अथवा और किसी कारण से जो मनुष्य मत्त हो रहा हो उसके साथ जुया खेलना उचित नहीं। इसलिए काई और काम करने की आप हमें याज्ञा दें। विगट ने कहा :-हे कङ्क ! जुआ खेलने की हमारी बड़ी इच्छा है। और कोई खेल हम नहीं खेलना चाहते । जुए में सब कुछ हार जाने पर भी हम दुःखित नहीं होते। इसलिए तुम सङ्कोच न करो। कङ्क ने कहा :- महागज ! आपने सुना होगा कि महाराज युधिष्ठिर जुए ही में अपना गज्य हार गये थे। तब से जुए को हम बिलकुल ही पसन्द नहीं करते। जो हो यदि आपकी बड़ी ही इच्छा हो तो आइए ग्वलें। जुत्रा आरम्भ होने पर विगट कहने लग :-- आज कैसे सौभाग्य की बात है कि हमारे पुत्र ने युद्ध में सारे कौरवों का हग दिया। युधिष्ठिर ने कहा :-महाराज ! बृहन्नला जिसका सारथि होगा वह जरूर ही युद्ध में जीतेगा। इस बात से कुछ रुष्ट हो कर राजा ने कहा :- कङ्क ! कौरवों को क्या हमारा पुत्र नहीं हरा सकता ? तुम बार बार उसकी उपेक्षा करके एक सामान्य नाचनेवाल की क्यों प्रशंसा करते हो। युधिष्ठिर ने कहा :-महाराज ! जिस युद्ध में भीष्म, द्रोण, कृप और कर्ण इकटे हुए हैं वहाँ बृहन्नला के सिवा और कोई नहीं जीत सकता। तब क्रोध से अधीर हेकर मत्स्यगज बोले :-- कत! हमारे बार बार मना करने पर भी तुम चुप नहीं होते। तुम्हें वृद्ध समझ कर अभी तक हमने क्षमा किया था। पर यदि तुम जीवित रहना चाहते हो तो फिर कभी ऐसी बात न कहना।