पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/१८४

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१६० सचित्र महाभारत [पहला खरड तब महाराज की आज्ञा से अर्जुन अन्त:पुर में गये और राजकुमारी को वे सब लूटे हुए वस्त्र दिये । गुड़ियों के लिए बड़े बड़े मूल्यवान वस्त्र पाकर उत्तरा बड़ी प्रसन्न हुई। इसके बाद पाण्डव लोग कुमार उत्तर के साथ एकान्त में सलाह करने लगे कि किस समय और किस तरह हम अपने को प्रकट करें। १३ –पाण्डवों का प्रकट होना और सलाह करना प्रतिज्ञा से छूटे हुए पाण्डवों ने अपने को विराटराज पर प्रकट करने के लिए उपयुक्त समय स्थिर कर लिया। निश्चित दिन आने पर स्नान के बाद सफेद कपड़े और तरह तरह के गहने पहन कर वे लोग गजसभा में पहुँच और विराट के सिंहासन पर धर्मराज को बिठा कर उनके चारों तरफ बैठ गये। सैरिन्ध्री का वेश त्याग कर द्रौपदी भी वहाँ आ गई। जब राज्य का काम करने का समय आया तब विराटराज सभा में आये। पाण्डवों का यह अद्भुत व्यवहार देख कर पहले तो वे विस्मित और कुपित हुए। पर यह समझ कर कि शायद इसमें कोई गूढ़ रहस्य हो कुछ देर सोच कर बोले :--- हे कङ्क ! हमने तुम्हें जुआ खेलने में निपुण समझ कर अपना सभासदे बनाया था। इस समय राजों का सा वेश बना कर हमारे सिंहासन पर क्यों बैठे हो ? अर्जुन ने हंस कर उत्तर दिया :-- हे राजन् ! ये महातेजस्वी पुरुष हैं। ये तो देवताओं के भी बराबर बैठने योग्य हैं। इनका यश सूर्य के प्रकाश की तरह चारों दिशाओं में फैला हुआ है। ये कुरुवंश में श्रेष्ठ धर्मराज युधिष्ठिर हैं । इसलिए आपके सिंहासन पर बैठने के ये सर्वथा योग्य हैं । बड़े आश्चर्य में आकर विराटराज ने कहा :-- यदि यही राजा युधिष्ठर हैं तो इनके भाई और इनकी स्त्री द्रौपदी कहाँ है ? अर्जुन ने कहा :--हे राजन् ! जो आपकी रसोई बनाते थे और जिन्होंने अपना नाम वल्लभ बताया था वहीं महाबली भीमसेन हैं। जिन्होंने दुरात्मा कीचक और उसके वंश. का संहार करके सैरिन्ध्री की रक्षा की थी वे गन्धर्व भी यही हैं । आपके घोड़ों और गायों के अधिकारी ही माद्री के दोनों कान्तिमान पुत्र नकुल और सहदेव हैं। यह अलौकिक रूपवती और पतिव्रता सैरिन्ध्री ही द्रौपदी है। इन्हीं के लिए कीचक मारा गया था। और हम भीमसेन के छोटे भाई अर्जुन हैं । हमारा विशेष वृत्तान्त आपने सुना ही होगा। हे राजन् ! हम लोगों ने आपके राज्य में, गर्भ में रहने के समान, साल भर बड़े सुख से अज्ञात वास किया है। इस समय कुमार उत्तर इतने दिनों की रुकी हुई कृतज्ञता प्रकट करके बोले :-- हे पिता ! जिस तरह सिंह हिरनों के झुंड को मारता है उसी तरह इन लम्बी भुजाओंवाले, धनुर्धारियों में श्रेष्ठ अर्जुन ने शत्रुओं को मार गिराया था। जिस समय सारे रथों को तोड़ कर लड़ाई के मैदान में ये बे-खटके फिरते थे उस समय इन्होंने बड़े बड़े हाथियों को मार गिराया था। इनके बाण लगते ही वे बड़े बड़े दाँतों को जमीन में गाड़ कर मर जाते थे। इनके शङ्ख की भयावनी ध्वनि सुनते ही हम भय से व्याकुल हो गये थे।