पृष्ठ:सचित्र महाभारत.djvu/२१९

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१९१ दूसरा खण्ड युद्ध की तैयारी तुमने जो युधिष्ठिर आदि को न मारने का वचन दिया है उसे युद्ध के समय भूल न जाना। इसके अनन्तर कर्ण भी अपने घर गये और कुन्ती भी अपने घर लौट आई। २-युद्ध की तैयारी शान्ति-स्थापन की चेष्टा में बिलकल ही सफल न होकर कृष्ण उपप्लव्य नगर को लौट गये। वहाँ पर पाण्डवों से उन्होंने हस्तिनापुर में जो कुछ हुआ था उसका वर्णन संक्षेप से कह सुनाया। अन्त में उन्होंने कहा :- हे धर्मराज ! कौरवों की सभा में जो कुछ हुआ, सब हमने कह सुनाया। बिना युद्ध के कौरव लोग तुम्हें राज्य लौटाने पर राजी नहीं। इससे अब युद्ध करना ही होगा। युद्ध किये बिना काम नहीं चल सकता। यह कह कर विश्राम करने के लिए कृष्ण अपने डेरे पर चले गये ! रात को पाण्डवों ने फिर उन्हें बुलाया और एकान्त में सब लोग मिल कर सलाह करने लगे। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों से कहा :- हे भाइयो ! कौरवों की सभा में जो कुछ हुआ, और उसके विषय में कृष्ण ने जो कुछ निश्चय किया, उसे तुम सुन चुके हो। इस समय सेना को अलग अलग भागों में बाँटना चाहिए । हमारी राय है कि अपनी सात अक्षौहिणी सेना के सेनापति के पद पर द्रपद, विराट, शिखण्डी, धृष्टद्यन्न, सात्यकि, चेकितान और भीमसेन ये सात वीर नियत किये जायें। इन सेनापतियों में से कौन सबका अध्यक्ष, अर्थात् प्रधान सेनापति, होने योग्य है-इस बात के विचार करने की अब ज़रूरत है। हम जानना चाहते हैं कि इस विषय में तुम्हारी क्या राय है। सहदेव ने कहा:-जिस धर्मज्ञ राजा के आसरे रह कर हम लोगों ने अज्ञात वास समाप्त किया और जिनकी कृपा से अपना राज्य पाने की आशा करने में फिर समर्थ हुए, उन्हीं राजा विराट को प्रधान सेनापति बनाना चाहिए। नकुल ने कहा :-जो पराक्रमी और पुण्यवान् राजा हमारे ससुर हैं, अतएव जो हमारे पिता के सदृश हैं, उन्हीं द्रुपदराज को प्रधान सेनापति बनाना चाहिए। भीमसेन ने कहा :-हमारे शत्रुओं में सबसे बड़े योद्धा भीष्म हैं। सुनते हैं महापुरुष शिखण्डी ने उन्हीं के मारने के लिए जन्म लिया है। इसलिए उन्हीं को सारी सेना का प्रधान सेनाध्यक्ष करना उचित होगा। अन्त में अर्जुन ने कहा :-बल, वीर्य्य, तेज, और पराक्रम आदि गुणों ही का युद्ध में सबसे अधिक काम पड़ता है। उनके अनुसार विचार करने से महापराक्रमी धृष्टद्युम्न के बराबर हम और किसी को नहीं देखते । इससे हमारी राय है कि सेना के सब अध्यक्षों के ऊपर वही नियत किये जायें । इस प्रकार मत-भेद उपस्थित होने पर युधिष्ठिर ने कहा :- परम बुद्धिमान् कृष्ण इन सब महारथी वीरों में से किसी एक को चुन देने की कृपा करें । कृष्ण • ही की बुद्धिमानी और चतुरता के बल पर हम लोग इस युद्ध में जीतने की आशा करते हैं। तब अर्जुन की बात का समर्थन करते हुए कृष्ण ने कहा:-