पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/१२८

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................ ...wwwwwwwwwwwwwwww...more ___ चतुर्थसमुल्लासः ॥ | का लड़का गोद ले लेगे उससे कुल चलेगा और व्यभिचार भी न होगा और जो ब्रह्म- ' चर्य न रख सकें तो नियोग करके सन्तानोत्पत्ति करलें (प्रश्न ) पुनर्विवाह और नियोग में क्या भेद है ? (उत्तर) (पहिला) जैसे विवाह करने में कन्या अपने पिता का घर छोड़ पति के घर को प्राप्त होती है और पिता से विशेष सम्बन्ध नहीं रहता और विधवा स्त्री उसी विवाहित पति के घर में रहती है ( दूसरा ) उसी विवाहिता स्त्री के लड़के उसी विवाहित पति के दायभागी होते हैं और विधवा ली। । के लड़के वीर्यदाता के न पुत्र कहलाते न उसका गोत्र होता न उसका स्वत्व उन । लड़कों पर रहता किन्तु वे मृतपति के पुत्र बजते उसी का गोत्र रहता और उसी । के पदार्थों के दायभागी होकर उसी घर में रहते हैं (तीसरा । विवाहित स्त्री पुरुष ' को परस्पर सेवा और पालन करना अवश्य है और नियुक्त स्त्री पुरुष का कुछ भी । सम्बन्ध नहीं रहता ( चौथा ) विवाहित स्त्री पुरुष का सम्बन्ध मरणपर्यन्त रहता । और नियुक्त स्त्री पुरुष का कार्य के पश्चात् छूट जाता है (पांचवां ) विवाहित स्त्री पुरुष भापस में गृह के कार्यों की सिद्धि करने में यत्न किया करते और नियुक्त स्त्री पुरुष अपने २ घर के काम किया करते हैं (प्रश्न ) विवाह और नियोग के नियम ! एकसे हैं वा पृथक् २ ? (उत्तर ) कुछ थोडासा भेद है जितने पूर्व कह आये और यह कि विवाहित स्त्री पुरुष एक पति और एक ही स्त्री मिल के दश सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं और नियुक्त स्त्री पुरुष दो वा चार से अधिक सन्तानोत्पत्ति नहीं कर सकते अर्थात् जैसा कुमार कुमारी ही का विवाह होता है वैसे जिसकी स्त्री वा पुरुष । | मर जाता है उन्ही का नियोग होता है कुमार कुमारी का नहीं । जैसे विवाहित स्त्री पुरुष सदा सङ्ग में रहते है वैसे नियुक्त स्त्री पुरुष का व्यवहार नहीं किन्तु विना : ऋतुदान के समय एकत्र न हो जो स्त्री अपने लिये नियोग करे तो जब दूसरा गर्भ ; रहे उसी दिन से स्त्री पुरुष का सम्बन्ध छूट जाय और जो पुरुष अपने लिये करे तो भी दूसरे गर्भ रहने स सम्बन्ध छूट जाय परन्तु वही नियुक्त स्त्री दो तीन वर्ष । । पर्यन्त उन लडकों का पालन करके नियुक्त पुरुष को दे देवे ऐसे एक विधवा स्त्री दो अपने लिये और दो २ अन्य चार नियुक्त पुरुषो के लिये सन्तान कर सकती , | और एक मृतस्त्रीक पुरुष भी दो अपने लिये और दो २ अन्य चार विधवाओं के लिये पुत्र उत्पन्न कर सकता है ऐसे मिलकर दश २ सन्तानोत्पत्ति की आज्ञा वेद में है। . इमां त्वमिन्द्र मीढ्वः सुपुत्रां सुभगो कृण ।